केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कोविड-19 पर मंत्रियों के समूह की 22वीं बैठक की अध्यक्षता की
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार को यहां वीडियो कांफ्रेंस द्वारा कोविड-19 पर उच्च स्तरीय मंत्रियों के समूह (जीओएम) की 22वीं बैठक की अध्यक्षता की. विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे एवं गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ विनोद के पॉल, प्रधानमंत्री के सलाहकार अमरजीत सिन्हा और प्रधानमंत्री के सलाहकार भास्कर खुल्बे भी वर्चुअल तरीके से उपस्थित रहे.
डॉ हर्षवर्धन ने बैठक की शुरुआत सभी कोविड योद्धाओं के प्रति गहरी कृतज्ञता जताते हुए की, जो पूरी महामारी, जो अपने 12वें महीने में है, के दौरान बिना किसी थकावट के निरंतर अपना कर्तव्य करते रहे हैं. उन्होंने अपने सहयोगियों को कोविड के विरुद्ध देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली एवं अभी तक के उत्साहवर्धक परिणामों द्वारा प्राप्त किए गए लाभों के बारे में सूचना दी. उन्होंने कहा कि भारत की कोविड-19 महामारी वृद्धि दर गिरकर दो प्रतिशत पर आ गई है और मृत्यु दर विश्व में सबसे कम 1.45 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि भारत की रिकवरी दर बढ़कर 95.46 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि एक मिलियन नमूनों की जांच की रणनीति ने कुल पॉजिटिविटी दर को घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है.
इस तथ्य को देखते हुए कि अक्तूबर-नवम्बर के महीने में त्योहारों के बावजूद व्यावहारिक रूप से कार्यान्वित व्यापक टेस्टिंग, ट्रैकिंग एवं उपचार नीति के कारण इस अवधि में संक्रमण के मामलों में कोई तेज वृद्धि नहीं देखी गई, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं जीओएम के अध्यक्ष ने ऐसे समय में भी कोविड उपयुक्त व्यवहार को कर्मठतापूर्वक बनाए रखने की अपील की, जब देश टीकों के पहले सेट को प्राधिकृत करने के अंतिम चरण में है. उन्होंने सभी लक्षित आबादी जो लगभग 30 करोड़ आंकी गई है, को कवर करने के लिए एक त्वरित टीकाकरण अभियान की आवश्यकता भी व्यक्त की.
निदेशक (एनसीडीसी) डॉ सुजीत के सिंह ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की कि किस प्रकार डाटा केंद्रित श्रेणीबद्ध सरकारी नीतियों ने भारत को महामारी पर एक उल्लेखनीय नियंत्रण अर्जित करने में सहायता की है. उन्होंने मामलों की संख्या, मौतों की संख्या, उनकी वृद्धि दर आंकड़े और किस प्रकार वे शेष विश्व की तुलना में, जहां इन मानकों में बहुत तेज वृद्धि देखी जा रही है, से संबंधित आंकड़े प्रदर्शित किए. उन्होंने विशेष जिलों में पॉजिटिविटी, मामलों के आरएटी एवं आरटी-पीसीआर प्रतिशत विवरण संग्रहण जैसे महत्वपूर्ण मानकों तथा मृत्यु, अस्पताल में भर्ती होने के 48 एवं 72 घंटों के भीतर मृत्यु जैसे अन्य रुझानों को प्रदर्शित करते हुए प्रत्येक राज्य में महामारी के आगे बढ़ने का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया. उन्होंने देश में संपूर्ण रूप से समर्पित कोविड-19 सुविधाओं पर आंकड़े भी प्रस्तुत किए.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ विनोद के पॉल ने मंत्रियों के समूह को टीकाकरण के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं; सभी टीकों के पूर्व-नैदानिक एवं नैदानिक परीक्षण की प्रक्रिया, भारत में परीक्षण से गुजर रहे छह वैक्सीन कैंडिडेट्स के विवरण (संघटन, विनिर्माता एवं तकनीकी साझीदारों, खुराकों की संख्या, भंडारण एवं प्रभावोत्पादकता की शर्तों के अनुसार) एवं उम्र, व्यवसाय तथा अन्य सह-रुग्णता के अनुसार भारत में लक्षित आबादी की संरचना एवं किस प्रकार अन्य देशों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसाओं के साथ उनकी तुलना होती है, के बारे में जानकारी दी. उन्होंने मंत्रियों के समूह को 12 अन्य देशों से विदेश मंत्रालय द्वारा प्राप्त टीकों के आग्रह के बारे में भी जानकारी दी.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मृत्यु दर को रोकने में एक प्रमुख वाहक के रूप में लोगों के बीच स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार के महत्व को नोट किया. कुछ राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के विरोधाभास, जहां बहुत अधिक मामले हैं जबकि मृत्यु दर कम हैं एवं ऐसे राज्य जिन्होंने कम मामले दर्ज कराए हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से मृत्यु दर अधिक है, की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह तथ्य दूसरे प्रकार के राज्यों में ऐसे लोगों के परिणामस्वरूप है जिनमें लक्षण तो है लेकिन वे जांच कराने के लिए आगे नहीं आ रहे. जिन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में एक गतिशील सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली है वहां लोगों को जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा जांच कराने के लिए ट्रैक तथा प्रोत्साहित किया जाता है जो रोगियों में कोविड को अग्रिम चरण में बढ़ने को रोकता है और इस वजह से ये राज्य अपनी मृत्यु दर को न्यूनतम बनाए रखने में सक्षम होते हैं. इस संबंध में उन्होंने मांग के अनुसार जांच करने की सरकार की नीति के बारे में सदस्यों को जानकारी दी; जिनमें लक्षण हैं ऐसे लोग बिना किसी प्रेसक्रिप्शन के अपनी खुद की जांच करवा सकते हैं. उन्होंने उच्च मृत्यु दर्ज कराने वाले राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में लोगों के बीच स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार की शिक्षा देने के लिए आईईसी कार्यकलापों के महत्व को भी रेखांकित किया.
सचिव (टेक्सटाइल) रवि कपूर, सचिव (फार्मा) एस अपर्णा, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, अपर सचिव (गृह) गोविंद मोहन, अपर सचिव (विदेश मंत्रालय) दम्मू रवि, डीजीसीए (नागरिक उड्डयन), विदेश व्यापार (डीजीएफटी) महानिदेशक अमित यादव, डीजीएचएस सुनील कुमार एवं सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्चुअल मीडिया के जरिए भाग लिया. डॉ समीरन पांडा (एनआईसीईडी) ने डीजी (आईसीएमआर) के कार्यालय का प्रतिनिधित्व किया.b yddnews