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महाराष्ट्र सरकार के आरक्षण कानून पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक

मराठा आरक्षण मामला:सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा और नौकरियों में मराठाओं को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र सरकार के कानून पर रोक

मराठा समुदाय के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए  महाराष्ट्र में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 लागू किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस कानून को लागू करने पर रोक लगा दी।

जस्टिस एल एन राव की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की बेंच ने यह मामला बड़ी संविधान पीठ को सौंप दिया अब चीफ जस्टिस एसए बोबडे नई बेंच का गठन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन्होंने 2018 के कानून का पहले लाभ लिया है, उन्हें परेशान नहीं किया जाएगा

27 जुलाई को महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया गया था कि वह विभागों, जनस्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा और रिसर्च को छोड़कर 12% मराठा आरक्षण के आधार पर भर्ती प्रक्रिया 15 सितंबर तक आगे नहीं बढ़ाएगा।
हाईकोर्ट ने पिछले साल 27 जून के अपने आदेश में कहा था कि इंदिरा साहनी फैसले के मुताबिक, विशेष परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए 50% की सीमा से ज्यादा आरक्षण दिया जा सकता है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार के इस तर्क को भी स्वीकार कर लिया था
हाईकोर्ट ने कहा था कि मराठा कम्युनिटी को 16% आरक्षण वाजिब नहीं है और ये स्टेट बैकवार्ड कमीशन के मुताबिक रोजगार में 12% और शैक्षणिक संस्थानों में 13% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

16% आरक्षण मराठाओं को देने का विधेयक 30 नवंबर 2018 को पारित

संविधान के 102वें संशोधन के तहत , राष्ट्रपति द्वारा तैयार की गई सूची में किसी विशेष समुदाय का नाम होने पर ही आरक्षण दिया जा सकता है। महाराष्ट्र की विधानसभा ने 30 नवंबर 2018 को मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा 16% आरक्षण देने के लिए एक विधेयक पारित किया था।