प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान बन रहा है जन आंदोलन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वोकल फार लोकल आह्वान अब जब धीरे देश भर में एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है तब ये अपील कि वोकल फार लोकल को ग्लोबल गुणवत्ता का रूप भी दिया जाए। कोरोना संकट काल में देश के घर घर में वोकल फार लोकल की गूंज ने न केलव हमारे घरेलू उत्पादों और उत्पादकों को नया संबल दिया बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से कदम भी बढ़ाया।
इसकी बानगी दिखी दीपावली में जब खादी और अन्य ग्रामोद्योग उत्पादों सहित स्थानीय वस्तुओं की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई। कोविड-19 महामारी के बावजूद खादी के कपड़ों, अगरबत्ती, मोमबत्ती, दीया, शहद, धातु कला उत्पादों, कपास और रेशमी कपड़ों, कृषि उत्पादों और खाद्य पदार्थों सहित लगभग सभी उत्पादों की बिक्री बढ़ी जो कि प्रधानमंत्री के आह्वान का ही परिणाम था। अब एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट’ का मंत्र देते हुए आह्वान किया कि जो भी ग्लोबल बेस्ट है, वो हम भारत में बनाकर दिखाएं। देश को सबसे अधिक उम्मीद ही हमारी युवा शक्ति से जो हर लक्ष्य को हासिल करने में समर्थ है।
कोरोना संकट के शुरूआती दिनों में देश में मास्क और पीपीई किट की पर्याप्त उपलब्धता नहीं थी, लेकिन इसे भी एक चुनौतीरूप में स्वीकार कर देश ने वोकल फार लोकल के मंत्र के साथ इन दोनों मामलों में न केवल आत्मनिर्भरता हासिल की बल्कि अब हम निर्यात की स्थिति में भी हैं। आज आवश्यकता है वोकल फार लोकल को नए साल का नया संकल्प बनाने की.. जिससे आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार किया जा सके।
चाहे कश्मीर का केसर हो या तमिलनाडु की कान्चिवरम साड़ियां, गुजरात के बिरंगे परिधान हो या पूर्वोत्तर के बांस उत्पाद अगर इन्हें ग्लोबल बाज़ार मिले तो लोकल और ग्लोबल का भेद खुद ही मिट जाएगा। वोकल फार लोकल यानि ”स्थानीय उत्पादों को लेकर मुखर होने” का आह्वान न केवल स्थानीय स्तर पर व्यापार और रोज़गार के नए अवसर का सृजन कर रहा है बल्कि यह हमारी स्थानीय कला और परंपरागत व्यवसाय को संजीवनी प्रदान कर रहा है जिससे स्वालंबन और सामर्थ्य का नया इतिहास रचा जा सके।byddnews