आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी के मोर्चे पर भारत को जबरदस्त झटका
देश की अर्थव्यवस्था में 40 साल में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट आई है
जनवरी-मार्च तिमाही में देश की जीडीपी 3.1 फीसदी की दर से बढ़ी थी
कोरोना के चलते आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी के मोर्चे पर भारत को जबरदस्त झटका लगा है। पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट -23.9% रही है। भारतीय इकॉनमी ने 40 साल में पहली बार ऐसी गिरावट देखी है। लॉकडाउन के चलते देश में ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों का असर अब इकॉनमी पर साफ दिखाई दे रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था कहां है, इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि जी-20 इकॉनमी वाले देशों में जीडीपी के मामले में सबसे खराब परफॉर्मेंस भारत की है।
एग्रीकल्चर की ग्रोथ रेट 3.4%
आंकड़ों के मुताबिक, पहली तिमाही में माइनिंग सेक्टर की वृद्धि दर 23.3 प्रतिशत गिरी है। एक साल पहले समान तिमाही में 4.7 प्रतिशत की गिरावट थी। इसी तरह मैन्युफैक्चरिंग में 3 प्रतिशत की तुलना में 39.3 प्रतिशत की गिरावट दिखी है। कृषि की वृद्धि दर इस दौरान 3.4 प्रतिशत रही है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ रेट में 50.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
आरबीआई ब्याज दरों में कटौती टाल सकता है
आंकड़ों के मुताबिक ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन सेक्टर की वृद्धि दर में 47 प्रतिशत की गिरावट दिखी है। इलेक्ट्रिसिटी में 7 प्रतिशत की गिरावट रही है। इन आंकड़ों के बाद विश्लेषकों का मानना है कि अब आरबीआई ब्याज दरों में कटौती को दिसंबर तक टाल सकता है। हालांकि, इससे पहले महंगाई का भी स्तर आरबीआई देखेगा।
एक साल पहले जीडीपी की ग्रोथ रेट 5% थी
सरकार ने सोमवार को लॉकडाउन तिमाही यानी अप्रैल-जून 2020 के जीडीपी आंकड़े जारी किए। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 फीसदी दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत, जबकि दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 और एक साल पहले पहली तिमाही में 5 प्रतिशत थी।
पहले ही 20 प्रतिशत तक गिरावट की आशंका जताई गई थी
हाल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि जून तिमाही में देश की जीडीपी में 21.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इसी तरह घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने इस दौरान जीडीपी में 20 फीसदी और एसबीआई के ईकोरैप ने 16.5 फीसदी गिरावट की आशंका जताई थी।
क्या है जीडीपी?
एक साल के भीतर देश में बनाए जा रहे सभी सामानों और सेवाओं का कुल मूल्य जीडीपी कहलाता है। जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दिखाती है। इससे पता चलता है कि देश का विकास किस तरह हो रहा है। एनएसओ जीडीपी के आंकड़े हर तिमाही यानी साल में चार बार जारी करता है। इसकी गणना कंजम्पशन एक्सपेंडिचर, गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर, इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर और नेट एक्सपोर्ट्स के जरिए होती है।
ये सेक्टर होते हैं जीडीपी में शामिल
इसके लिए आठ प्रमुख क्षेत्रों से आंकड़े लिए जाते हैं। इनमें कृषि, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, गैस सप्लाई, माइनिंग, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, फाइनेंसिंग और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज, कम्युनिटी, सोशल व सार्वजनिक सेवाएं आदि शामिल हैं।