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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने आईसीएमआर, डीएचआर की बायोमेडिकल इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप पॉलिसी जारी की।

इस पॉलिसी से अब डॉक्टर भी इनोवेशन कर सकते हैं, स्टार्ट अप खोल सकते हैं और उधोग जगत के साथ मिलकर नए मेडिकल डिवाइस बना सकते हैं और बेस्ट रिसर्च कर सकते हैं। ये मेडिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता कदम है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये मेडिकल क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा।

अब डॉक्टर भी कर सकेंगे इनोवेशन और रिसर्च, बन सकते है एंटरप्रेन्योर, आईसीएमआर ने जारी की पॉलिसी

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने आईसीएमआर, डीएचआर की बायोमेडिकल इनोवेशन और  एंटरप्रेन्योरशिप पॉलिसी जारी की। इस पॉलिसी से अब डॉक्टर भी इनोवेशन कर सकते हैं, स्टार्ट अप खोल सकते हैं और उधोग जगत के साथ मिलकर नए मेडिकल डिवाइस बना सकते हैं और बेस्ट रिसर्च कर सकते हैं। ये मेडिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता कदम है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये मेडिकल क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा।

अब मेडिकल कॉलेज में ऐसा इको सिस्टम बनेगा जो देश की जरुरतों के मुताबिक मेडिकल डिवाइस बना सकेगा।

पहले सिर्फ आईआईटी में ही इनोवेशन और रिसर्च होते थे जो मेडिकल डिवाइस सहित चिकित्सा क्षेत्र की जरुरतो को पूरा करते थे। लेकिन आईसीएमआर की ये पॉलिसी मेडिकल कॉलेज को भी इनोवेशन के लिए प्रेरित करेगा।

देश में छह सौ से ज्यादा मेडिकल कॉलेज है जहां हर साल एक लाख मेडिकल ग्रेजुएट बाहर निकलते हैं। इन छात्रो में कई रिसर्च के क्षेत्र में भी जाना चाहते हैं। और अब ये मौका आईसीएमआर की पॉलिसी देगी।  इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप में मेडिकल कॉलेज का योगदान महज 5 फीसद होती है जबकि 95 फीसद इनोवेशन आईआईटी में होता है।

सोर्स डी डी न्यूज