दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए कड़े कदम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि का कारण स्थानीय और क्षेत्रीय कारक हैं। इस जटिल समस्या से निपटने के लिए प्रशासन तैयार में जुटा हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष शिव दास मीणा ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ाने में पराली जलाने के अलावा दूसरे कारक भी शामिल हैं। सीपीसीबी ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं और इसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में गिरावट देखी गई है। प्रदूषण की निगरानी के लिए 50 टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए हैं।
दिल्ली-एनसीआर में हर सर्दियों में पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इस पर सख्त रुख अपनाते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को रोकने के लिए एक व्यक्ति वाली निगरानी समिति के तौर पर पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की नियुक्ति किया है। न्यायाधीश लोकुर शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं।उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के चीफ सेक्रेटरी इस काम में जस्टिस लोकुर को आवश्यक सहयोग देंगे। सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गर्गवा ने कहा कि पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में इस साल पीएम 10 की सांद्रता बढ़ी है।
विशेष रूप से उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर चिंता का विषय है। सर्दियों की शुरुआत और मौसम में बदलाव के साथ, दिल्ली एनसीआर और उत्तर भारत के दूसरे हिस्सों में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई है। कोविड जैसी घातक बीमारी के प्रसार के रोकथाम में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर बड़ी अड़चन खड़ी कर सकता है।
सोर्स डी डी न्यूज