दोहा में शुरू हुई ऐतिहासिक अफ़गानिस्तान-तालिबान शांति वार्ता, विदेश मंत्री एस. जयंशंकर ने किया संबोधित
दोहा में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच होने वाली बहुप्रतीक्षित शांति वार्ता शुरु हो गई है। उद्घाटन सत्र में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि अफगान शांति प्रक्रिया में अफगानिस्तान की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। जहां, मानवाधिकारों, लोकतंत्र और महिलाओं अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए।
तालिबान और निर्वाचित अफगान सरकार के बीच ऐतिहासिक शांति वार्ता कतर की राजधानी दोहा में शनिवार सुबह शुरू हुई। देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद सीधी, “अंतर-अफगान” वार्ता शुरु हुई है। अमेरिका और तालिबान ने युद्ध को समाप्त करने के लिए 29 फरवरी को एक सैन्य वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
यह वार्ता संयुक्त राज्य अमेरिका में 9/11 की 19 वीं वर्षगांठ के एक दिन बाद शुरू हुई। इसी घटना के बाद अफगानिस्तान अमेरीका की सैन्य गतिविधि तेज हुई थी। इस वार्ता का उद्देश्य एक व्यापक शांति समझौते तक पहुंचना है – जिसमें अफगान सरकार और तालिबान के बीच स्थायी युद्धविराम भी शामिल है। तालिबान को काबुल को ये विश्वास दिलाना होगा कि वह हिंसा को छोड़, अफगान अधिकारियों और नागरिकों की हत्या बंद कर देगा। साथ ही अफगान संविधान को वो स्वीकार करे और महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखने जैसे मामलों पर भी इसे सहमति दिखानी होगी।
इस बीच विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वार्ता के उद्घाटन समारोह में भाग लिया .. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भारत अफगानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है। उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों की निरंतर वृद्धि पर विश्वास व्यक्त किया।
यह पहली बार है जब तालिबान अफगान सरकार के प्रतिनिधियों के साथ देश के भविष्य के बारे में चर्चा करने के एक साथ आया है। शांति बहाली के मकसद से शुरु ये समारोह सुबह 11:30 बजे कुरान के पाठ के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद कतर के विदेश मंत्री ने इसे संबोधित किया। अफगान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला कर रहे हैं, जो देश मे शांति बहाली के लिये बनी उच्च परिषद की का नेतृत्व भी करते हैं। उधर तालिबान प्रतिनिधिमंडल की कमान मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथों मे है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भी इस अवसर पर अपनी बात रखी.. उन्होंने उद्घाटन समारोह के बाद अलग से अफगान और तालिबान प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात भी की।
अंतर-अफगान वार्ता मूल रूप से 10 मार्च से शुरू होने वाली थी। हालांकि तालिबान और अफगान सरकार के बीच कैदी के रिहाई को लेकर चल रहे विवाद के बीच ये वार्ता टलती रही। हालांकि अंत तक, अफगानिस्तान सरकार ने कई कट्टर आंतकी सहित सैकड़ों तालिबान लड़ाकाओं को रिहाई किया। महीनों तक चले बातचीत के बाद, तालिबान के पांच हजार कैदियों की रिहाई की मांग को कुछ दिन पहले हल किया जा सका।
नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अफगानिस्तान में अमेरिकी भागीदारी को समाप्त करने और अफगानिस्तान में तैनात अधिकांश विदेशी ताकतों के वहां से निकालने के लिये किये गये अपने वादे को पूरा करने मे तेजी दिखा रहे हैं। अमेरिका ने इस देश में अपने सैन्य स्तर की भागीदारी को कम कर दिया है और नवंबर तक अफ़ग़ानिस्तान में पाँच-हज़ार से भी कम अमेरिकी सैनिकों के बचे रखने का लक्ष्य रखा है। अमेरिका और तालिबान के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के समय लगभग 13-हज़ार अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान मे मौजूद थे ।
सोर्स डी डी न्यूज