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पराली की समस्या पर पर्यावरण मंत्रियों की बैठक

क्या आप जानते हैं कि 2016 के बाद से राजधानी दिल्ली में अच्छी वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या 108 से बढ़कर 182 हो गई है। ऐसे अब साल का ये वो समय है जब दिल्ली और आसपास के इलाकों में स्मॉग की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन पिछले 2 तीन सालों में पराली जैसी समस्याओं में उल्लेखनीय कमी आई है। इस बार भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 50 टीम प्रदूषण मामलों की निगरानी करेगी। आज केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में न सिर्फ अभी तक की कोशिशों पर संतोष जताया बल्कि आगे के रोडमैप पर भी चर्चा की गई।

 

आगामी सर्दियों और पराली जलाने की समस्या को देखते हुये प्रदूषण की रोकथाम पर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली सहित आसपास के 4 राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई। मीटिंग का मकसद पिछले दो सालों में प्रदूषण नियंत्रण के लिये उठाये गये उपायों की समीक्षा के साथ आगे की रणनीति बनानी थी। सभी राज्यों ने इस दिशा में उठाये जा रहे कदमों पर संतोष जताते हुये अपनी सलाह भी दी। केन्द्र और राज्यों के संयुक्त प्रयास से 2016 के मुकाबले हवा ज्यादा साफ हुई है।

बैठक में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब , राजस्थान और उत्तर प्रदेश  में हॉटस्पॉट चिन्हित किये गये जहां से प्रदूषण बढ़ने की आशंका रहती है। एक अध्ययन के मुताबिक पराली जलाने से प्रदूषण में 40 फीसदी का इजाफा होता है। इसके साथ ही 60 फीसदी निर्माण कार्य, कूड़ा निस्तारण का कुप्रबंधन, औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों से होता है। प्रदूषण रोकने में इन कारणों पर भी नियंत्रण करने के उपाय जारी हैं।

अक्टूबर से लेकर दिसंबर के बीच बढ़ने वाले प्रदूषण नियंत्रण पर सरकार ने कई अहम कदम उठाये हैं।

पराली के निपटान से जुड़ी मशीनरी के लिये पिछले 3 सालों में केन्द्र सरकार ने 1700 करोड़ रूपये खर्च किये हैं।

पराली प्रबंधन के कृषि उपकरणों पर व्यक्तिगत रूप से 50 फीसदी और समूह में 80 फीसदी की सब्सिडी दी जाती है।

पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित कैप्सूल पराली को खाद बनाने में सक्षम है। इसे राज्यों को प्रयोग के तौर पर दिया जा रहा है।

दिल्ली में ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल वे बनने से राजधानी में तकरीबन 60000 वाहनों को आने से रोका जाता है।

वाहनों के लिये BS VI उत्सर्जन मानक लाया गया है।

भठ्ठों और अन्य कारखानों से उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिये नई तकनीक मददगार साबित हो रही है।

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इन उपायों के सकारात्मक असर दिख रहे हैं। लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। राज्यों ने इस विषय में केन्द्र को सलाह दिये हैं। जनभागीदारी और सरकार के प्रयासों से प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।

सोर्स डी डी न्यूज