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पीएम मोदी ने निर्माण और उद्योग जगत से अपने उत्पादों को विश्वस्तरीय बनाने का किया आह्वान

साल 2020 के अपने आखिरी मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल आम आदमी के जीवन में आई चुनौतियों, बाधाओं का जिक्र करते हुए आने वाले नए साल 2021 में उन बाधाओं पर संकल्प की जीत का रोडमैप खींचा। प्रधानमंत्री ने साल 2020 में भारत सहित पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूटे कोरोना संकट का जिक्र किया और इस आपदा से निपटने के लिए आत्मनिर्भरता के मंत्र से विजय पाने के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए हर भारतीय से नये साल के संकल्प के रुप में लोकल के लिए वोकल होने की अपील की।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 की अपनी आखिरी मन की बात में कोरोना संकट और बीते साल के अनुभवों को लेकर देशवासियों द्वारा लिखे पत्रों का जिक्र खासतौर पर किया। प्रधानमंत्री इन पत्रों में लोगों द्वारा भेजे गए संदेश के हवाले से बीते साल के अनुभवों और संकल्पों की चर्चा की। कोरोना काल में चुनौतियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस काल में अनेक बाधाएं आईं लेकिन देश में इन बाधाओं से निपटने के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ के रुप में एक नया सामर्थ्य भी पैदा हुआ।

प्रधानमंत्री ने देश में उपजे इसी सामर्थ्य को दिल्ली निवासी अभिनव बैनर्जी के झंडेवालान स्थित खिलौने की दुकाने में आए परिवर्तन से जुड़े अनुभव के जरिए साझा किया। प्रधानमंत्री ने अभिनव के अनुभव के जरिए बताया कि देश की सोच में एक साल के भीतर आए इस परिवर्तन को आंकना आसान नहीं है….///

विशाखापत्तनम के वेंकट मुरलीप्रसाद जी के पत्र का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता को एक पायदान उपर उठाने का संदेश भी दिया। वेंकट मुरलीप्रसाद ने प्रधानमंत्री को भेजे अपने पत्र में बताया कि उन्होंने प्रतिदिन उपयोग में आने वाले सामानों का आत्मनिर्भर चार्ट तैयार करके ये संकल्प लिया है कि उन्हीं सामानों का इस्तेमाल करेंगे जिनमें देशवासियों का खून पसीना लगा हो। इस प्रसंग के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के साथ ज़ीरो इफैक्ट, जीरो डिफेक्ट की सोच को भी संबद्ध किया।

प्रधानमंत्री ने साल 2020 की आखिरी मन की बात में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाने के लिए देशवासियों को हर स्तर पर तैयार होने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से इस बात की विवेचना करने की अपील की कि जाने अनजाने हम किस तरह विदेशी उत्पादों के बंदी बन गये हैं। भारत में उनके विकल्पों का पता करें और आने वाले समय में विदेशी उत्पादों की जगह उन स्वदेशी विकल्पों का उपयोग करने का संकल्प लें।byddnews