भारत ने पाकिस्तान की करतारपुर साहिब प्रबंधन को लेकर एकतरफा कार्रवाई पर दर्ज कराया कड़ा विरोध
करतारपुर साहिब का प्रबंधन पाकिस्तान एक ऐसी संस्था को सौंपने जा रहा है जिसमें कोई भी सिख नहीं है। ऐसे में भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित नहीं हैं।
महज़ एक साल में ही पाकिस्तान की दरियादिली की हकीकत दुनिया के सामने आ गई। करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के समय अल्पसंख्यकों के अधिकार के लिए लंबी चौड़ी बातें अब नई चाल में तब्दील होती दिख रही है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के रख रखाव का काम पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से छीन कर एक गैर सिख संस्था Evacuee Trust Property Board यानी ETPB को सौंपा दिया गया है। बताया जाता है कि इस 9 सदस्यीय बोर्ड का कोई सिख सदस्य नहीं है। भारत ने पाकिस्तान के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तान का यह एकतरफा निर्णय निंदनीय है। इसके अलावा करतारपुर साहिब कॉरीडोर खोले जाने की भावना के भी ख़िलाफ़ है। पाकिस्तान का ये फ़ैसला वहां रह रहे अल्पसंख्यकों के हितों और अधिकारों की सच्चाई उजागर करता है। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का उत्पीड़न करती है और आए दिन उनके साथ अत्याचार के मामले भी सामने आते हैं।
उधर सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समितियों ने पाकिस्तान के इस फैसले का कड़ा विरोध किया और इसके प्रबंधन को तुरंत सिखों के हाथ में देने की मांग की है। दरअसल हुकूमत में आने के कुछ ही हफ्ते बाद जब पाक पीएम इमरान ने अचानक करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की बात कही थी तभी से भारत के कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने पड़ोसी देश की इस दरियादिली को लेकर शंका जाहिर की थी। करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिख समुदाय से छीन कर ISI से ताल्लुक रखने वाले संगठन को देने के फैसले ने इस शंका को मजबूत कर दिया है।सोर्स डी डी न्यूज