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’21वीं सदी में स्कूली शिक्षा ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को किया संबोधित

राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद अब पूरा जोर इसके अमल को लेकर है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत ”21वीं सदी में स्कूली शिक्षा” विषय पर संगोष्ठी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया. अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है. यह ऐसा क्षण हैं, जिसमें नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि

–स्कूल 2022 तक नए पाठ्यक्रम ढांचे के अनुकूल होंगे

–एक राष्‍ट्रीय आकलन केंद्र-परख बनाया जाएगा, जो विद्यार्थियों के चहुमुखी विकास के लिए उनके कार्य निष्‍पादन और ज्ञान का आकलन, समीक्षा और विश्‍लेषण करेगा.

–देश में अंक तथा अंकपत्र आधारित शिक्षा व्यवस्था हावी थी, लेकिन अब हमें शिक्षा में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा.

–छात्रों को पांचवी कक्षा तक मातृ भाषा में ही शिक्षित किया जाए.

–नीति को लागू करने के लिए देशभर के शिक्षकों से उनके सुझाव मांगे थे जिसमें एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं.

–राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसी तरह से तैयार किया गया है ताकि पाठ्यक्रम को कम किया जा सके और बुनियादी चीज़ों पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके.

–राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए शिक्षकों को मिलकर काम करना चाहिए

–राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पुरानी 10 Plus 2 की जगह, 5 Plus 3 Plus 3 Plus 4 की व्यवस्था बहुत सोच-समझकर की गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्‍कूल पूर्व शिक्षा बच्‍चों के लिए घर से बाहर निकलने का पहला अनुभव होती है. उन्‍होंने कहा कि देश को स्‍कूल-पूर्व से लेकर उच्चतर स्‍तर तक के शिक्षकों की आवश्‍यकता है, ताकि बच्‍चों को खेल-खेल में, विभिन्‍न गतिविधियों के जरिये शिक्षा दी जा सके. प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्‍चों के लिए सीखने के आसान और अभिनव तरीके खोजे जाने चाहिए.

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