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सेना ने जवानों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश , शोपियां मुठभेड़ में मारे गए मजदूर थे, आतंकी नहीं?

सेना ने जवानों के खिलाफ दिए कार्रवाई के आदेश , शोपियां मुठभेड़ में मारे गए मजदूर थे, आतंकी नहीं?

जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में सेना के जवानों पर नियम तोड़ने का आरोप प्रथम दृष्ट्या सही पाया गया है। इस मामले में चार हफ्ते तक चली जांच के बाद सेना ने कार्रवाई का आदेश दिया है। शोपियां जिले के अमाशीपोरा में 18 जुलाई को हुई मुठभेड़ में सेना के जवानों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप एनकाउंटर के दौरान सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन करने का आरोपसेना ने अमाशीपोरा इलाके में 18 जुलाई को हुई कथित मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मारने का दावा किया था श्रीनगर में रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध सेना ने सोशल मीडिया पर सामने आई उन रिपोर्ट के बाद जांच शुरू की, जिसमें दावा किया गया था कि जम्मू के राजौरी जिले के रहने वाले तीन व्यक्ति अमशीपोरा से लापता हो गए थे। अमाशीपोरा में मारे गए लोगों के आतंकवादी ना होने का दावा किया गया था और मारे गए लोगों के परिवार ने कहा था कि ये सभी लोग राजौरी के मजदूर थे। उनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था। जिन्हें आतंकवादी बताकर अमाशीपोरा में मार दिया गया। इस मामले पर विवाद होने के बाद सेना ने जांच के आदेश दिए थे। जिसे चार हफ्ते में पूरा किया गया। जांच

जांच पूरी होने के बाद सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि जांच से कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए जो कि दिखाते हैं कि अभियान के दौरान अफस्पा, 1990 के तहत निहित शक्तियों का दुरुपयोग किया गया और उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत सेना प्रमुख की ओर से निधार्रित नियमों का उल्लंघन किया गया। इसके मुताबिक, परिणामस्वरूप, सक्षम अनुशासनात्मक प्राधिकरण ने प्रथम दृष्टया जवाबदेह पाए गए सैनिकों के खिलाफ सेना अध�

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