(Police)पुलिस रिपोर्ट न लिखे तो Cr PC की धारा 156 और 200 के तहत कोर्ट में करें आवेदन
फ्राड या चीटिंग के केस में अगर थाने जाते तो थानेदार को एफ आई आर दर्ज करने का अधिकार रहता है लेकिन इस मामले में एसपी या एसपी की जांच रिपोर्ट के बाद केस दर्ज किया जाता है ।कानून कहता है कि सिविल नेचर के केस में f.i.r. नहीं होनी चाहिए, जहां सिर्फ लेनदेन का विवाद हो । ये विवाद सिविल न्यायालय में ही लगता है अक्सर यह शिकायत भी होती है कि पुलिस केस दर्ज नहीं करती ऐसे मामले में सीआरपीसी की धारा 156 या 200 के तहत जुडिशल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं इस पर मजिस्ट्रेट संज्ञान लेकर पुलिस से रिपोर्ट मंगवाते हैंl एक सुविधा शासन ने यह भी दे रखी है कि जिन लोगों के पास वकील को देने के लिए पैसे नहीं होते वह सरकारी वकील कर सकते हैं वकीलों की फीस सरकार वहन करती है। इसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जाकर प्रार्थना पत्र के माध्यम से वकील प्राप्त कर सकते हैं। देश का कोई भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सस्ता सुलभ एवं निशुल्क न्याय दिलाने का काम करता है। लोक अदालतों का संचालन भी राज्य की राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ही करता है।