आत्मा और परमात्मा के बीच की दूरी को शून्य करता एक संत#नितिन दास जी महाराज#
आज हरिद्वार राय इंटर कॉलेज बालूशासन के विशाल प्रांगण में संत विश्वास दास द्वारा एक सत्संग एवं भंडारे का आयोजन किया गया। इस सत्संग के आकर्षण का केंद्र संत नितिन दास जी रहे जो पंजाब से आए हुए थे। इनकी सत्संग को सुनने के लिए बहुत दूर-दूर से भक्त जन आए हुए थे।
नितिन दास जी आत्मा और परमात्मा के बीच की दूरी को किस प्रकार कम किया जा सकता है इस पर बहुत ही सुक्ष्म में ढंग से सत्संग किया। उन्होंने कहा जब व्यक्ति अपने आत्मा को नहीं पहचानेगा तब तक उसे 84लाख योनियों में भटकना पड़ेगा क्योंकि आदमी हमेशा आत्मा से प्रेम करता है इसका ज्ञान उसे तब होता है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है और आत्मा उस शरीर से निकल जाती है तो वह शरीर से प्रेम नहीं, करता क्योंकि उस शरीर का दाह संस्कार किया जाता है। आत्मा अजर अमर अविनाशी होती है और इसी कारण व्यक्ति का लगाव आत्मा से होता है और जब कोई संत आत्मज्ञान के बारे में बताता है और व्यक्ति आत्मज्ञान को पहचान लेता है तो उसे हर जीव में परमात्मा का वास दिखता है। ऐसा जीव जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पा जाता है उसे संसार में भटकना नहीं पड़ता है
नितिन दास जी पांच ज्ञानेंद्रियों पांच कर्मेंद्रियों के बारे में बहुत विस्तृत ढंग से भक्तों से सत्संग किया रैदास कबीर तुलसी के ग्रंथों से अनेकानेक उदाहरणों को लेकर लोगों को समझाया। उन्होंने बताया कि किसी भी भक्त को कहीं भागने की आवश्यकता नहीं क्योंकि कहा गया है कि ,कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे बन माहि।। जब आत्मा शरीर के अंदर ही है तो उसे परमात्मा मान लेना है, आत्मा और परमात्मा का मिलना ही मोक्ष हो जाता है। मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। इस अवसर पर बहुत दूर दूर से आए तमाम भक्त ग्राम बालूशासन के बहुत से सम्मानित व्यक्ति उपस्थित थे।