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सामूहिक प्रयासों से महासागरों को शांतिपूर्ण, मुक्‍त और सुरक्षित रखा जा सकता है: विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि देशों के बीच दूरी अलगाव का कोई कारण नहीं है और देशों के सामने जो भी मुद्दे है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि देशों के बीच दूरी अलगाव का कोई कारण नहीं है और देशों के सामने जो भी मुद्दे है वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र से आगे यूरोप तक भी असर डालेंगे। पेरिस में हिंद- प्रशांत क्षेत्र पर यूरोपीय संघ के मंत्रिस्‍तरीय मंच के उद्घाटन सत्र में अपने भाषण में डॉ. जयशंकर ने कहा कि सामूहिक प्रयासों से महासागरों को शांतिपूर्ण, मुक्‍त और सुरक्षित रखा जा सकता है और उनके संसाधनों का संरक्षण हो सकता है। उन्‍होंने हिंद प्रशात क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने की यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता का स्‍वागत किया। विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्‍द प्रशांत क्षेत्र की घटनाएं ही इस सदी का स्‍वरूप तय करेगी।

 

डॉ. जयशंकर ने कहा कि यूरोपीय संघ आर्थिक विकास, मूलभूत संरचना, संपर्क, डिजिटल परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य और सुरक्षा जैसी मानव केन्द्रित समस्‍याओं के समाधान में भी सहयोग कर सकता है। उन्‍होंने कहा कि यूरोपीय संघ की दृष्टि भी मुक्‍त संतुलित और समावेशी हिन्‍द प्रशांत क्षेत्र की भारत की दृष्टि से मिलती जुलती है।

 

बाद में, पेरिस में फ्रांस अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध संस्‍थान में डॉ. जयशंकर ने कहा कि फ्रांस बहुध्रुवीय और संतुलित वैश्विक संबंधों का प्रमुख पक्षधर रहा है और भारत की चिंताओं तथा प्राथमिकताओं को अच्‍छे से समझता है। उन्‍होंने कहा कि भारत की नजर में फ्रांस एक प्रमुख शक्ति है, जिसका अपना वैश्विक दृष्टिकोण और स्‍वतंत्र सोच है।

 

डॉ. जयशंकर ने कहा कि भू-राजनैतिक, भू-आर्थिक और प्रौद्योगिकी में रहे परिवर्तनों के कारण विश्‍व आज अनेक संकटों से घिरा है जिनमें एक यूरोप में भी है। उन्‍होंने कहा कि महामारी के संकट ने अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यवस्‍था के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी है।

सोर्स डी डी न्यूज

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