Allahabad University Ranking 2020
मानव संसाधन विकास मंत्रलाय ने वर्ष 2020 के लिये एनआईआरएफ रैंकिंग जारी कर दी है। मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की 2020 की इंस्टीट्यूशनल रैकिंग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय को बड़ा झटका लगा है। बता दे इलाहाबाद विश्वविद्यालय की रैंकिंग में इस बार भी सुधार नहीं हुआ है। दरअसल, 2019 की रैंकिंग में इविवि देश की टॉप-200 यूनिवर्सिटी की सूची से बाहर हो गया था। इस बार भी टॉप-200 यूनिवर्सिटी में इविवि जगह नहीं बना सका है।
प्रयागराज स्थित मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान की रैकिंग भी 2019 की तुलना में नीचे गिरी है। एमएनएनआईटी 42वें से 48वें जबकि ट्रिपलआईटी इस बार 82वें से 103वें पायदान पर खिसक गया है।
रैंकिंग को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। पिछले तीन साल में इविवि132 पायदान नीचे लुढ़का चुका है। एक निजी मैग्जीन की ओर से जारी रैंकिंग में पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय को देश के शीर्ष 150 विश्वविद्यालयों में इस बार भी 42वां स्थान मिला है। वहीं, प्रदेश के शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों में इविवि पांचवें पायदान पर है। इस रैंकिंग ने बेहतरी की उम्मीद जगाई थी। माना जा रहा था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अधिकृत संस्था नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी एनआईआरएफ की इस बार की रैंकिंग में इविवि की स्थिति सुधरेगी। लेकिन इस उम्मीद पर पानी फिर गया। एचआरडी मंत्रालय ने 2016 से रैंकिंग की व्यवस्था लागू की थी। उस वर्ष इविवि को देशभर के विश्वविद्यालयों में 68वां स्थान मिला था। 2017 में 27 पायदान की गिरावट के साथ इविवि 95वें स्थान पर चला गया। 2018 की रैंकिंग में यह टॉप-100 यूनिवर्सिटी की सूची से बाहर हो गया। तब इसे देशभर में 144वां स्थान मिला था। वर्ष 2019 में 200 से बाहर हो गया है। इविवि के शिक्षक इस बार बेहतरी की उम्मीद जता रहे थे लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। 125 वर्ष से भी ज्यादा पुराने विश्वविद्यालय को इस बार देश के शीर्ष 200 में भी जगह नहीं मिली। 2016 सें ही पूरब का आक्सफोर्ड कहे जाने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय की रैंकिंग लगातार गिरती जा रही हैं। छात्रनेताओं का कहना है पूर्व कुलपति प्रोफेसर हागंलू की गलत नीतियों की वजह से ही रैंकिंग गिरती जा रही हैं।छात्रावास से लेकर डेलीगेसी तक,शिक्षा स्तर,शिक्षकों के मानसिक स्तर में भी सुधार की जरूरत हैं।
रैकिंग नहीं शिक्षा स्तर सुधारे इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन-
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और वर्तमान में बड़े पदों को शुशोभित करने वाले एक पूर्व छात्र ने नाम गोपनीय रखे जाने की शर्त पर न्यू इंक से बात की है। उन्होंने कहा कि रैकिंग का गिरना चिंताजनक है। लेकिन उससे विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों को अवसाद में जाने की जरूरत नही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का इतिहास इन तीन सालो की रैंकिंग से नही तय हो सकता। उसके लिये शिक्षकों और छात्रों के बीच बेहतर संबंध और शिक्षा स्तर को बेहतर कर रैंकिंग को सुधारा जा सकता हैं