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भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में एनआईए ने आरोप पत्र दाखिल किया

भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में एनआईए ने आरोप पत्र दाखिल करते हुए कहा है कि ये देश को अस्थिर करने और जातीय हिंसा फैलाने की साजिश थी।

 

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में 8 लोगों के खिलाफ मुंबई की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है। करीब 10000 पन्नों के आरोप पत्र के मुताबिक सीपीआई माओवादियों के निर्देश पर आरोपियों ने महाराष्ट्र और देश में माहौल बिगाड़ने के साथ ही हिंसा फैलाने की साजिश रची थी। एनआईए को जांच में यह भी पता चला कि साजिश के तार सिर्फ पूरे देश में नहीं फैले हैं बल्कि विदेशों से भी जुड़े हुए हैं। जांच में यह भी जानकारी सामने आई की सीपीआई (माओवादी) के नेताओं ने एल्गार परिषद  के  आयोजकों  साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से जातीय दंगा भड़काने की इस योजना तैयार की थी।  आरोपियों के खिलाफ आईपीसी के अलावा यूएपीए कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है।

आरोपियों से और जांच के दौरान जब्त दस्तावेजों के जरिए यह जानकारी सामने आई कि शहरी नक्सली लोगों को सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ भड़का रहे हैं। ये सब कुछ वामपंथी उग्रवादियों के निर्देश पर और उनके फ्रंटल संगठनों की आड़ में किया जा रहा है। आरोपियों ने माओवादी नेताओं से संपर्क के लिए कूट भाषा यानी कोड का इस्तेमाल किया। जांच में यह भी पता चला की माओवादी संगठन अपने फ्रंटल संगठनों के जरिए तथाकथित शहरी क्रांति लाना चाहते हैं। इसके जरिए वह गांव और शहरों में अपने कैडर की संख्या बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं।

मुख्य आरोपियों में से एक गौतम नवलखा को सरकार के खिलाफ तथाकथित बुद्धिजीवियों को इकट्ठा करने का जिम्मा दिया गया था। इसके लिए वह खुफिया तौर पर लगातार सीपीआई माओवादियों से निर्देश ले रहे थे इतना ही नहीं गौतम के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई में संपर्कों का भी पता चला है। दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू विदेशी पत्रकारों को माओवादी नेताओं से मिलाने का जिम्मा मिला हुआ था। स्टान स्वामी ने सीपीआई माओवादियों के नेताओं को जानकारी दी कि शहरी नक्सलियों के गिरफ्तारी से संगठन को खासा नुकसान हुआ है। वह लगातार सीपीआई माओवादियों से फंड ले रहा था।

31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद् का आयोजन किया गया, जिसके जरिए महाराष्ट्र के कई हिस्सों में जातीय संघर्ष की साजिश रची गई थी। इन घटनाओं में जान माल का खासा नुकसान हुआ था।पहले पुणे पुलिस मामले की जांच कर रही थी। घटना की साजिश के तार देश और विदेश में फैले होने के चलते बाद में एनआईए को जांच का जिम्मा दिया गया था।

सोर्स डी डी न्यूज

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