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महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को सोमवार को दी गई अंतिम विदाई। भारत की तरफ से राष्ट्रपति मुर्मू हुईं शामिल

महारानी को पति प्रिंस फिलिप के बराबर में दफनाया गया। विंडसर ने डीन ने कहा कि हम ईश्वर की सेवक महारानी एलिजाबेथ की आत्मा को उनके हाथों में सौंपने के लिए एकत्र हुए हैं। इससे पहले, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को राजकीय अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही वेस्टमिंस्टर एबे के भीतर ले जाया गया, बिग बेन थम गई और हवा में प्रार्थनाओं के स्वर गूंजने लगे। ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यों के साथ ही दुनियाभर के विभिन्न देशों से राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख नेता दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पहुंचे। साथ ही लाखों लोग टेलीविजन पर महारानी की अंतिम यात्रा के साक्षी बने।स्थानीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजते ही शुरू हुई महारानी की इस अंतिम यात्रा में उनके बेटे और महाराजा चार्ल्स पीछे चल रहे थे। महाराजा के साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी तथा भाई-बहन प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड थे। इससे पहले ताबूत को पिछले बुधवार से वेस्टमिंस्टर हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। इस अंतिम यात्रा में साथ चलने वाले राजपरिवार के सबसे कम उम्र के सदस्यों में 9 वर्षीय प्रिंस जॉर्ज तथा सात साल की प्रिंसेस शेरलोट थीं। दोनों अपने माता-पिता प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स के बीच में चल रहे थे।

अंतिम संस्कार में शामिल लोगों में दुनियाभर के करीब 2000 मेहमान जुटे, जिनमें भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भाग लिया।

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